ख्याल गायकी भारतीय शास्त्रीय संगीत की राग प्रस्तुत करने की एक सुप्रसिद्ध शैली है। ख्याल का अर्थ...

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की उत्पत्ति दिल्ली सल्तनत और अमीर खुसरो (1233-1325 ई।) से मानी जा....

सप्तक के 12 स्वरों मैं से 7 क्रमानुसार मुख्य स्वरों के के उस समुदाय को थाट कहते हैं। वैसे तो बहुत..

नाद एक संस्कृत शब्द है। नाद का अर्थ है ध्वनि (साउंड)। शास्त्रों में नाद को 'ब्रह्म' कहा गया है।

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Saturday, July 18, 2020

Alankar

Musical info.
Alankar


Hello...!!!  Friends ... !!!  Welcome back to our today's Intersting Fact.  Today I will tell you what is the Alankar in classical music and how to do the riyaaz of Alankar. So let's start….

According to Sangeet Ratnakar [a], the regular group of notes is called Alankara.  In simple words, according to the rules of the notes, the movement is called Alankar.  Many people also call palta.  Alankar is the first stage of the practice of music.  In the field of classical singing and playing, students are first practiced with alankar.  The students of the instrument gain the ability to rotate the fingers in various ways through the practice of Alankar, while the people associated with the singing field get special help in the regular practice of this.

There are many links in Alankar, which are connected to each other.  In the composition of Alankar - each alankar has an ascending order from the middle (sa) of the middle octave (sa) to the higher octave (sa) of the octave such as "Sareg, Regam, Gampa, Mpadh, Padhni, Dhanisa" and the middle of the string (s) of the octave.  There is a descending order up to (s) of the saptak such as "sanidh, nidhapa, dhapama, pamaga, magare, geresa".

So this was our information about the decking today.  I think you must have liked it very much.  See you again next time with some such interesting facts.  thank you....!!!

 I am putting some pictures here.  So that you can understand better.

Alankar.jpg

Names of notes (indian-classical-music) English version.

Musical info.
Names of notes



               Hello...!!!  Friends ... !!!  Welcome back to our today's interesting facts about music.  Today I will tell you some interesting things about the notes used in Indian classical music and their names.  Which you will like very much.  So let's start.

               A total of 7 notes are given in Indian classical music.  Which are as follows.  (Sa, re, Ga, ma, pa, dh, ni, Sa) By coming in these notes Sa second time, it is not repeated again.  The names of all these notes are as follows.

Sa  -  Shadaj

Re    -  Rishabh

Ga     -  Gandhar

    Ma     -  Madhyama

Pa      - Panchma
 
Dha - Dhaivat

Ni  -  Nishad


   In these 7 notes only the Minor, Major and Sharp notes are divided separately.  So these were some interesting facts about Indian classical music.  See you next time, with some such interesting facts and you can follow to stay connected with me on my Instagram account harmony2myheart_ Thank you .... !!!!

names-of-notes

Wednesday, July 1, 2020

Bollywood songs which have names of vehicles in the lyrics

Musical info.
Bollywood songs which have names of vehicles in the lyrics :-

हेलो दोस्तों फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के म्यूजिक टॉपिक में। इस पेज पर आपको बहुत सारी शास्त्रीय संगीत के बारे में जानकारी मिली होगी। इस बार मैं कुछ अलग और बहुत ही इंटरेस्टिंग टॉपिक लेकर आया हूं जो आपको बहुत पसंद आएगा। आज मैं आपको बताऊंगा बॉलीवुड के कुछ ऐसे गाने जिनके शब्दों में वाहनों का जिक्र किया गया है और जो बहुत ही पसंद किए गए हैं। मैं आपको टॉप 10 मोस्ट पॉपुलर ऐसे गाने बताऊंगा जिनमें वाहनों के नामों का जिक्र किया गया है और जिन गानों को सुनकर बहुत खुशी मिलती है। चलिए शुरू करते हैं।

1. चल चल चल मेरे साथी (हाथी मेरे साथी) 1971
Chal chal chal mere saathi


यह हाथी मेरे साथी मूवी का गाना है। इस गाने में मोटर कार जैसे बोलों का उपयोग किया गया है। 1971 की यह फ़िल्म बोहोत ही शानदार रही। जिसमें हाथी और आदमी की दोस्ती हमें दिखाई पड़ती है। राजेश खन्ना की की बोहोत ही शानदार फिल्मों में से इस फिल्म का ये गाना आज भी सुनना बोहोत लोग पसंद करते है।


2. बाबु समझो इशारे (चलती का नाम गाड़ी) 1958
Babu samjho ishare


चलती का नाम गाड़ी फिल्म का यह गाना आज भी किशोर कुमार जी की याद दिलाता है। उनकी गाना गाने की अनोखी तकनीक सब के मन को लुभा जाती है। इस गाने में गाड़ी के नाम का ज़िक्र किया गया है। 
1958 में बनी यह फ़िल्म बोहोत ही लोकप्रिय रही। यह गाना आज भी उस दौर की याद दिलाता है।


3. ये है बंबई मेरी जान (CID) 1956
Yeh hai Bombay meri jaan

जॉनी वॉकर की शरारत और मस्ती आज भी कई यादें ताजा कर देती है। उन का अंदाज़ और कॉमेडी इस गाने में भी झलकती है। 1956 का यह गाना बहुत ही प्रशंसनीय रहा। इस गाने में मुंबई और मुंबई के लोगों के बारे में बताया गया है। साथ ही साथ इस गाने में मोटर कार गाड़ी जैसे शब्द उपयोग में लिए गए हैं। ओ.पी.नय्यर जी के संगीत के साथ मोहम्मद रफी साहब की आवाज में गाना बहुत ही लोकप्रिय बना।

4. रेलगाड़ी रेलगाड़ी (आशीर्वाद) 1964
Rail gaadi Rail gaadi


1964 मी आई आशीर्वाद मूवी का यह गाना लोकप्रिय गाना है। इस फिल्म में अशोक कुमार, संजीव कुमार और सुमिता सन्याल जैसे बड़े अभिनेता और अभिनेत्री देखे जा सकते हैं। इस गाने में रेलगाड़ी शब्द का उपयोग किया गया है। अशोक कुमार छोटे-छोटे बच्चों के साथ इस गाने में दिखाई पड़ते हैं। 1964 आशीर्वाद मूवी का यह गाना बहुत शानदार और बच्चों का मनपसंद गाना माना जा सकता है।


5. मर्द टांगेवाला (मर्द) 1985
Mard tangewala


1985 में रिलीज हुई ये फिल्म में अमिताभ बच्चन और अमृता सिंह की जोड़ी बहुत पसंद की गई। मर्द टांगेवाला गाना बहुत चर्चा में रहा। जिसमें टांगा गाड़ी के साथ अमिताभ बच्चन ने पूरे गाने में एक अद्भुत एनर्जी दिखाइए। अनु मलिक द्वारा कंपोज किया गया यह गाना बहुत पसंद किया गया। आज भी ये गाना बहुत सारी सवारियों मैं बजता हुआ पाया जाता है।


6. मौसम है बहारों का (मेरे हमसफर) 1970
Mausam hai baharon ka


मेरे हमसफर मूवी में बहुत सारे अच्छे-अच्छे गाने हैं। उसी फिल्म का मौसम है बहारों का गाना खटारे में बैठे दो दोस्त गाते हुए दिखाई देते हैं। महेंद्र कपूर की आवाज में कल्याणजी आनंदजी का संगीत हो तो गाने का मजा ही कुछ अलग होता है।


7. अकेला है मिस्टर खिलाड़ी (Mr.and ms. Khiladi) 1997
Akela he mr. Khiladi


अक्षय कुमार और जूही चावला की यह फिल्म बहुत सराहनीय रही। इस गाने में गाड़ी सवारी जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है और यह गाना आज भी पसंद किया जाता है। उदित नारायण और अनुराधा पौडवाल की आवाज में गाया गया यह गाना बहुत अच्छा लगता है।


8. मैं निकला गड्डी लेके (ग़दर-एक प्रेम कथा) 2001
Me nikala gaddi leke


गदर मूवी किसने नहीं देखी होगी। देश प्रेम की भावना इस फिल्म में झलकती है। गदर फिल्म का गाना मैं निकला गड्डी लेके एक अलग ही एनर्जी लेवल और पंजाब के लोगों की मौज को और उनके खुशमिजाज अंदाज़ को बड़े अच्छे से दर्शाता है। इस गाने में भी गाड़ी जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है। उदित नारायण जी की आवाज में मैं गाया गया यह गाना जब भी सुना जाए हर बार मन को मनोरंजित कर जाता है।


9. लॉन्ग ड्राइव पे चल (खिलाड़ी 786) 2012
Long drive


अक्षय कुमार और आसीन की जोड़ी ने इस फिल्म में तहलका मचा दिया था। फिल्म बहुत ही अच्छी रही और इस के सभी गाने बहुत पॉपुलर हुए। इसी फिल्म का लॉन्ग ड्राइव पे चल गाना बहुत पसंद किया गया। मीका सिंह की आवाज में गाया गया यह गाना भी फेरारी कार के साथ फिल्माया गया है।


10. गलती से मिस्टेक (जग्गा जासूस) 2017
Galti se mistake


रणवीर कपूर के तो सभी दीवाने हैं उनकी हर एक मूवी में उनका कैरेक्टर निभाने का अंदाज़ बहुत सराहनीय है। रणवीर कपूर की बहुत सारी अच्छी-अच्छी फिल्में है। 2017 में रिलीज हुई फिल्म जग्गा जासूस का गलती से मिस्टेक गाना जब बजता है तो पैर अपने आप थिरकने लगते हैं। इस गाने में रणवीर कपूर अपने दोस्तों के साथ कैंपस में दिखाई देते हैं। अमित मिश्रा और अरिजीत सिंह की आवाज में गाया गया ये गाना सुनने में ओर इसके साथ झूमने में बहुत मजा आता है।

तो यह है हमारे आज के टॉप 10 गाने जिनमें व्हीकल्स के नाम का यूज़ किया गया है। मुझे विश्वास है कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। अगली बार फिर से मिलेंगे ऐसे ही म्यूजिक के इंटरेस्टिंग टॉपिक के साथ। शुक्रिया।








Friday, June 26, 2020

बड़ा ख्याल और छोटा ख्याल

Musical info.
ख्याल

हेलो...!!! दोस्तों...!!! फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के नए संगीत के टॉपिक में। आज मैं आपको बताऊंगा ख्याल गायकी क्या होती है और उसके साथ साथ बड़ा ख्याल और छोटा ख्याल के बारे में पूरा डिटेल में जानेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

ख्याल गायकी

ख्याल गायकी भारतीय शास्त्रीय संगीत की राग प्रस्तुत करने की एक सुप्रसिद्ध शैली है। ख्याल का अर्थ  सोचना, विचारना या किसी को याद करना होता है। उसी प्रकार भारतीय शास्त्रीय संगीत में ख्याल का अर्थ है कि हमारी कल्पना शक्ति अनुसार संगीत के माध्यम से राग को प्रस्तुत करना और उसे अधिक सुंदर बनाना। अपनी सोच और समझ से किसी भी राग को अपनी तरीके से प्रस्तुत करना ही ख्याल गायकी का अर्थ दर्शाता है। राग प्रस्तुतकर्ता अपने कौशल के अनुसार राग की सुंदरता को प्रकट करता है। ख्याल गायकी की दो शैलियां है। १. बड़ा ख्याल और २. छोटा ख्याल 
इन दोनों शैलियों में ही राग विस्तार के चार तत्व अलापी, बंदिश, लयकारी और तान का उपयोग किया जाता है। अगर आपने राग विस्तार के इन चारों तत्वों के बारे में नहीं पड़ा है तो मैं यहां पर उसका लिंक शेयर कर रहा हूं जिससे आपको ख्याल गायकी के बारे में और अच्छी तरह से समझ पाएंगे। 


दोनों ही शैलियों में इन चार तत्वों को पाया जाता है। लय एक ऐसा तत्व है जिसके कारण दोनों शैलियों को अलग-अलग समझा जा सकता है। बड़ा ख्याल में लय या गति विलंबित प्रकार की यानी कि बहुत ही धीमी होती है छोटा ख्याल लय मध्यम या दृत प्रकार की होती है।

Bada khayal Chhota khayal
खयाल गायकी



बड़ा ख्याल :-  बड़ा ख्याल को धीमी गति में या विलंबित गति में गाया जाता है। धीमी गति होने के कारण दो बीट्स के बीच का अंतर बहुत ज्यादा होता है। जिससे राग की बंदिश के बालों को बहुत खींच कर गाया जा सकता है और कलाकार को अपनी कला दिखाने का अधिक समय मिल जाता है। इसी कारण से कलाकार अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग करके राग के नियमों के अनुसार बड़ा ख्याल की सुंदरता प्रदर्शित करता है । बड़ा ख्याल का गायन करने से बहुत सारे लाभ होते हैं। जिससे हमारे गायकी को अच्छी तरीके से सुधारा जा सकता है। 

बड़ा ख्याल गायकी के लाभ - 
  • ताल में बंध कर चलना सिखाता है।
  • सुरों में ठहराव, स्टेबिलिटी लाता है।
  • गले में बेस लाने में सहायता करता है।
  • ताल में लयबद्ध रहने में भी सहायता करता है।

छोटा ख्याल :- छोटे ख्याल को मध्यम या दृत लय में गाया जाता है। इस प्रकार की शैली में गति ज्यादा होने के कारण दो बीट्स के बीच का अंतर बहुत कम होता है। जिससे कलाकार को अपनी कल्पना शक्ति का बहुत ही जल्दी से उपयोग करना होता है और अपनी प्रस्तुति को सुंदर बनाना होता है। लय ज्यादा होने के कारण छोटी छोटी मूखिॅयां लेकर या बंदिश के बालों के साथ खेल कर राग की पेशकश की जाती है। छोटा ख्याल गायन के भी बहुत लाभ है। जो गायकी में सुधार ला सकते है।

छोटा ख्याल के लाभ -
  • गायकी को बेहतर बनाता है।
  • स्पीड में हरकत लेने में सहायता मिलती है।
  • फिल्मों के गाने अच्छी तरह से गाने में सहायता मिलती है।
  • तान और अलंकार गति में गाने से गले के मसल्स एक्टिव रहते हैं।
तो यह थी आज की जानकारी बड़ा ख्याल और छोटा ख्याल के बारे में। मुझे विश्वास है आप को यह बहुत पसंद आया होगा। आप किस टॉपिक पर जानकारी चाहते हैं वह आप मुझे कमेंट करके बता सकते हैं। अगली बार फिर मिलेंगे ऐसे ही इंटरेस्टिंग टॉपिक के साथ। शुक्रिया। 

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English translation


Khayal

Hello...!!! Friends ... !!! Welcome back to our new topic about music. Today I will tell you what Khyal singing is and along with it, I will know in full detail about Bada Khyal and Chhota Khyal. So let's start.

Khayal singing

Khyal singing is a well-known genre of Indian classical music. Khayal means thinking or missing someone. Similarly, in Indian classical music, khyal means to present the raga and make it more beautiful through music according to our imagination. Presenting any raga in your own way with your thinking and understanding shows the meaning of singing. The raga presenter reveals the beauty of the raga according to his skills.  There are two styles of singing. 1. Bada khayal and 2. Chhota khayal
Both of these styles use the four elements of raga vistar: alapi, bandish, lyaakari and taan. If you have not read about these four elements of the raga expansion, then I am sharing its link here so that you will get a better understanding of the Khayal singing.

These four elements are found in both styles. Rhythm is an element that causes the two styles to be understood differently. The rhythm or tempo in the Bada khayal is very slow it is called vilambit laya and the tempo in the Chhota khayal is medium and fast it is called Madhya laya and Dhrut laya.

Bada Khayal Chhota Khayal
Khayal Gayaki


Bada Khyal: - Bada Khyal is sung in slow or delayed motion. Due to the slow speed, the difference between the two beats is very high. So that the bandish of the raga can be sung with a lot of expansion and the artist gets more time to show his art. For this reason, the artist uses his imaginations to demonstrate the beauty of Bada khayal according to the rules of raga. There are many benefits from singing Bada khayal.  So that our singing can be improved properly.

Benefits of Bada khayal singing  -
  • Teaches to stay in a rhythm.
  • Stagnation in notes brings stability.
  • Helps bring base to the vocal chords.
  • It also helps in keeping mind in rhthym.
 
Chhota Khayal - Chhota Khyal is sung in a medium or double speed. In this type of style, the difference between the two beats is very small due to the high speed. So that the artist has to use his imaginations very quickly and make his presentation beautiful. Due to the high speed, a raga is performed by taking small variation and playing with words of bandish. This type of singing is also very beneficial. Which can helps improve singing.

Benefits of Chhota khayal
  • Improves singing.
  • Speed ​​helps in taking action with throt.
  • It helps to sing movie songs very well
  • Sing Taan and Alankar in speed helps our throt muscles to be active.
So this was today's information about Bada khayal and Chhota Khayal. I believe you would have liked it very much. You can tell me which topic you want information on. See you again next time with similar interesting topics. Thank you. 





Wednesday, June 24, 2020

राग विस्तार (techniques of raag expansion)

Musical info.
राग विस्तार

हेलो...!!! दोस्तों...!!! फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के इंटरेस्टिंग संगीत के टॉपिक में। पिछले टॉपिक में हमने सीखा था राग विस्तार के दो तत्व आलाप और बंदिश के बारे में। अगर आपने वह टॉपिक नहीं पड़ा है तो उसका लिंक मैं यहां पर शेयर कर रहा हूं। उसे आप पहले पढ़ ले उसके बाद ही इसे पढ़ें जिससे आपको और अच्छे से यह टॉपिक समझ में आएगा। तो चलिए शुरू करते हैं।

राग विस्तार का तीसरा महत्वपूर्ण तत्व है लय-कारी।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में कलाकार राग विस्तार करता है तब वह आलापी से धीमी गति में शुरू होता है। उसके बाद दूसरे भाग में धीरे धीरे गति को बढ़ाया जाता है। जिससे लय का महत्व भी बढ़ता है। राग विस्तार के इसी मोड़ पर कलाकार लय-कारी की शुरुआत करता है। इसी मोड़ पर कलाकार की कला और निखरती है और श्रोता भी और अच्छे से उसे सुनता है और पेशकश में अच्छी रूचि लेने लगता है। ऐसा माना गया है कि जैसे-जैसे गति बढ़ती है वैसे-वैसे सामान्य श्रोता में भी एक अलग ही ऊर्जा का संचार उत्पन्न होता है।

  • लय-कारी :- लयकारी का अर्थ है की लय के साथ रहकर काम करना है। राग विस्तार को लय के साथ रहकर उसे और सुंदर बनाना है। अलापी की तरह लयकारी भी सरगम और बंदिश के बोलों के साथ की जा सकती है। लयकारी में बोल बहुत जरूरी है। इसीलिए आकार में लयकारी नहीं की जा सकती। 
  • तान :- तान राग विस्तार की सबसे गति पूर्ण तकनीक है। जिस की गति दूसरे राग विस्तार के तत्वों से अधिक होती है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में पहले धीमी गति से गायन या वादन शुरू किया जाता है उसके बाद धीरे-धीरे गति को बढ़ाया जाता है। इसी नियम के कारण तान सबसे आखिर में गाई जाती है।
राग विस्तार

तान के प्रकार
  • आकार तान - यह तान इसके नाम के मुताबिक आकार में गाई जाती है। मतलब की 'आ' स्वर का उपयोग करके गाई जाती है।
  • सरगम तान - इस तान में सरगम का उपयोग करके तान को गाया जाता है।
  • बोल तान - इस तान में बंदिश के बोलो का प्रयोग करके तान को गाया जाता है।
तो यह थी आज की जानकारी राग विस्तार के बारे में। मुझे विश्वास है कि आपको यह बहुत पसंद आया होगा। अगली बार फिर से मिलेंगे ऐसे ही म्यूजिक रिलेटेड टॉपिक के साथ। शुक्रिया।

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English translation

Raga expansion


Hello...!!! Friends ... !!! Welcome back to our new interesting topic about music . In the previous topic, we learned about the two elements of raga expansion, alaap and bandish. If you have not had that topic, then I am sharing its link here. You should read it first then only after that you will understand this topic more thoroughly. So let's start.

The third important element of raga expansion is lai-kari.

In Indian classical music, the artist raga expands when it starts in a slow tempo from the highs. After that the speed is gradually increased in the second part. Due to which the importance of rhythm also increases. At this point of the raga expansion, the artist begins the rhythm. At some point the art of the artist further enhances and the listener listens to it even better and takes good interest in the offering. It is believed that as the speed increases, a different energy is produced in the general audience.

Laya-kaari: - Layakari means to collaborate with the rhythm. The raga expansion has to be made more beautiful by staying in tune with the rhythm. Like Alapi, rhythm can also be performed with Sargam and Bandish lyrics. Lyrics are very important in Layakari. That is why the Layakari cannot be performed in Aakar.

Taan: - Taan  is the most rhythematic and fast technique of raga expansion. The speed of which is greater than the elements of the raga expansion.  In Hindustani classical music, first a slow singing or playing is started followed by a gradual increase in tempo. Due to this rule, the Taan is sung last.

Raga expansion


Types of Taan -

Aakar Taan - This taan is sung in aakar according to its name. The Taan is sung using the 'Aa' alphabet.

Sargam Taan - In this taan, the taan is sung using sargam.

Bol Taan - This taan is sung using the lyrics of Bandish.

So this was today's information about the raga expansion. I believe you would have liked it very much. See you again next time with a similar music related topic. Thank you.




Monday, June 22, 2020

राग विस्तार (techniques of Raag vistar)

Musical info.
राग विस्तार

हेलो...!!! दोस्तों...!!! फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के संगीत के इंटरेस्टिंग टॉपिक में। आज मैं आपको बताऊंगा राग विस्तार क्या होता है और उसमें किन तत्वों का उपयोग होता है। तो चलिए शुरू करते हैं।

राग विस्तार करने की तकनीक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और कर्नाटक की शास्त्रीय संगीत में अलग-अलग पाई जाती है। आज हम हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में राग विस्तार कैसे होता है वह सीखेंगे।

राग विस्तार में कुल 4 तत्वों का उपयोग किया जाता है। जो राग विस्तार के लिए बहुत ही जरूरी है।
१. आलाप (आलापी)
२. बंदिश
३. लय-कारी
४. तान

इन्हीं चार तत्वों के उपयोग से राग विस्तार संभव है। तो चलिए जानते हैं इन तत्वों का राग विस्तार में किस प्रकार उपयोग होता है।

१. आलाप (आलापी) :- आलाप या आलापी राग विस्तार की एक ऐसी तकनीक है जिसमें आलाप द्वारा राग विस्तार किया जाता है। राग आलापी राग विस्तार के प्रथम भाग में पेश की जाती है। राग की पेशकश का सबसे ज्यादा समय का उपयोग राग आलापी में किया जाता है।

ज्यादातर गायक आलाप की पेशकश में आकार का उपयोग करते हैं पर ज्यादा समय तक आकार में अलापी करने से राग नीरस ना लगने लगे इसलिए दूसरी अलापी का भी उपयोग किया जाता है। आलापी के भी प्रकार है। १. आकार आलापी २. नोम-तोम आलापी ३. बोल आलापी ४. सरगम आलापी। 
  • आकार आलापी - इस प्रकार की आलापी में आ अक्षर के उच्चारण से अलापी की जाति है।
  • नोम-तोम आलापी - इस प्रकार की अलापी में नोम-तोम जैसे शब्दों का उपयोग करके अलापी की जाती है।
  • बोल आलापी - इस प्रकार की आलापी में राग की बंदिश के बोलो का उपयोग करके अलापी की जाती है।
  • सरगम आलापी - इस प्रकार की आलापी में  राग के स्वरों का उपयोग करके अलापी की जाती है।
राग विस्तार
राग विस्तार


२. बंदिश :- बंदिश का अर्थ होता है बंधा हुआ। राग से ताल से और शब्दों से यह बंदिश बंधी होती है। बंदिश के बोल बहुत ही अर्थ पूर्ण होते हैं। बंदिश एक प्रकार का काव्य ही है जिसे गायन या वादन से प्रस्तुत किया जाता है। बंदिश के भी अनेक प्रकार हैं। ख्याल गायकी में जब राग की प्रस्तुति होती है तब सर्वप्रथम बहुत ही धीमी गति या विलंबित गति में बंदिश गाई जाती है जिसे बड़ा ख्याल कहा जाता है। उसके बाद छोटा ख्याल की बंदिश प्रस्तुत की जाती है जो मध्यम लय या फिर दृतलय में होती है। 

कई बार बंदिश के बोलो को गाते समय कई गायक राग की रंजकता के अनुसार उन्हें स्पष्ट रूप से न गाकर उन बोलो को तोड़ कर गाते हैं क्योंकि बंदिश के शब्दों का कार्य है कि गायक को ऐसे शब्द प्रदान हो जिनसे वह अलापी और लयकारी में उन शब्दों का उपयोग कर सकें।
इस प्रकार बंदिश के बोलो को अर्थपूर्ण अथवा अर्थहीन शब्दों से भी बांधा जा सकता है। जैसे तराना। 
  • तराना - तराना गायन मेजो बंदिश होती है उसमें अर्थहीन शब्दों का उपयोग किया जाता है। जैसे कि नोम, तोम, ना, दिर, दीम, ता, दानी ऐसे शब्दों का उपयोग किया जाता है। यह बंदिश राग विस्तार के आखरी भाग में गायी जाती है क्योंकि इसमें गति बहुत ज्यादा होती है।
दूसरी बंदिश होती है सरगम की बंदिश।
  • सरगम बंदिश - यह बंदिश राग के स्वरों के उपयोग से गाई जाती है। महफिलों में इसका उपयोग ज्यादा नहीं किया जाता है। यह बंदिश विद्यार्थियों को गवाई जाती है ताकि उन्हें राग के स्वरूप को जानने में आसानी हो।
तो यह थी आज की जानकारी राग विस्तार के बारे में। अगली पोस्ट में मैं राग विस्तार में उपयोगी और दो तत्वों के बारे में बताऊंगा। मुझे विश्वास है कि यह दो टॉपिक आपको अच्छे से समझ में आ गया हूं। शुक्रिया।

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English translation

Raga expansion


Hello...!!!  Friends ... !!!  Welcome back to our interesting music topic of today.  Today I will tell you what the Raga expansion is and what elements are used in it.  So let's start.

The technique of expanding raga is found differently in Hindustani classical music and Carnatic classical music. Today we will learn how the Raga expands in Hindustani classical music.

A total of 4 elements are used in the raga expansion.  Which is very important for raga expansion.

 1. Alap (Alapi)

 2. Bandish

 3.  Layakari

 4.  Taan

By using these four elements, raga expansion is possible.  So let's know how these elements are used in the raga expansion.

1. Alap (Alapi): - Alap or Alapi is a technique of raga expansion in which raga is extended by alap. The raga alapi is introduced in the first part of the Raga expansion. The presentation raga,most time used in alaapi.

Most singers use the Akar form to presenting the alaap, but the performance does not become monotonous due to the longing of the alapi, so a other alaapi is also used. There are also types of alap. Akar alapi 2.  Naum-Taum Alapi 3.  Bol Alappi 4.  Sargam Alapi.
  • Akar Alapi - In this type of Alapi, performer uses Aa word in alapi
  • Naum-Taum Alapi - In this type of Alapi, alapi is done using words like Naum-Taum.
  • Bol Alapi - In this type of Alapi, alapi is done by using the words of bandish. 
  • Sargam alapi- In this type of Alapi, Alapi Done by using the notes of raga.

Raga expansion
Raga expansion

2. Bandish: - Bandish means tied.  This restriction is tied to the rhythm and the words to the raga. Bandish lyrics are very meaningful. Bandish is like a poetry which is rendered by singing or playing. There are also many types of bandish. When a raga is performed in Khyal singing, the first presentation is sung in a very slow or delayed motion, which is called Bada Khyal.  After that, the bandish of Chhota Khyal is presented, which is in the medium rhythm or the double speed.

While singing the lyrics of Bandish many times, many singers break those words by not singing them clearly, because Bandish's words work to provide the singer with the words that he can use that words in alapi and layakari

In this way, the words of Bandish can also be tied to meaningful or meaningless words. Like Tarana.
  • Tarana - Tarana is a singing of bandish, in which meaningless words are used.  Such words as Nom, Tom, Na, Dir, Dim, Ta, Dani are used. In this bandish raga is the last edge of expansion because it has a lot of speed. This type of bandish is perform in last part of Raga expansion Because it has to much speed.

The second bandish is the Sargam Bandish.
  • Sargam Bandish - This bandish is sung using the notes of the raga. It is not used much in Mahfils.  This bandish is witnessed to the students so that they can easily get to know the nature of the raga.
So this was about the expansion of raga in today's information.  In the next post I will explain the useful other two elements in raga expansion layakari and Tana .  I am sure you understand these two topics very well. Thank you.

Saturday, June 20, 2020

What is Naad? (नाद क्या है?)

Musical info.
नाद

हेलो...!!! दोस्तों...!!! फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के टॉपिक में। आज मैं आपको नाद क्या है? उसका संगीत में क्या महत्व है और उसकी विशेषताएं क्या है उसके बारे में बताऊंगा। तो चलिए शुरू करते हैं। 

नाद शब्द को देखा जाए तो इसमें दो शब्द छुपे हुए हैं। शास्त्रों के अनुसार न का अर्थ होता है प्राण बीज और द का अर्थ होता है अग्नि बीज। इस प्रकार नाद प्राण और अग्नि के संगम से बना हुआ है।
 
नाद की व्याख्या:-

नाद एक संस्कृत शब्द है। नाद का अर्थ है ध्वनि (साउंड)। शास्त्रों में नाद को 'ब्रह्म' कहा गया है। संगीत उपयोगी कानों को मधुर लगने वाली, चित्त को आनंद देने वाली तथा मन का रंजन करने वाली सुखदाई ध्वनि को संगीत की भाषा में नाद कहते हैं। नाद के दो प्रकार हैं १. आहत नाद और २. अनाहत नाद

  • आहत नाद - जो नाद किन्हीं दो वस्तुओं के टकराने से, घर्षण से, संघर्ष से या फिर उस पर आघात करने से उत्पन्न हो, उस नाद को आहत नाद कहा जाता है। जिस प्रकार तानपुरे पर उंगलियों से आघात  किया जाता या फिर वायोलिन या सारंगी पर गज को रगड़ने से जो ध्वनि उत्पन्न होती है उसे आहत नाद कहते हैं। 

  • अनाहत नाद - जो आवाज बिना किसी सहयोग, घर्षण, आघात  से उत्पन्न होती है उसे अनाहत नाद कहा जाता है। यह नाद प्रकृति के हर जीव में विद्यमान है। ऐसा माना जाता है कि अनाहत नाद का उपयोग बहुत पहले के समय में ऋषि मुनियों द्वारा मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता था। अनाहत नाद को सुनना बहुत कठिन है। सहज रूप से देखा जाए तो अपने दोनों कानों के छिद्रों को अपने दोनों हाथों से बंद करने पर कान के भीतर से जो सांय-सांय जैसा आवाज सुनाई देता है उसी को अनाहत नाद कहते हैं। यह नाद संगीत उपयोगी नहीं है।

आहत नाद की विशेषताएं - 
१. नाद की ऊंचाई-नीचाई
२. नाद का छोटा-बड़ापन
३. नाद के गुण अथवा जाती

  • नाद की ऊंचाई-नीचाई - इस लक्षण से हमें नाद या ध्वनि कितनी ऊंची या कितनी नीची है वह पता चलता है। नाद के ऊंचे और नीचे पन को Hertz (Hz) मे मापा जाता है। इसे एक सेकंड में आवाज के कंपन के हिसाब से उसका मापन होता है।

नाद क्या है?

इस इमेज में साफ दिखाई दे रहा है कि ऊपर वाली आवाज की कंपन संख्या नीचे वाली आवाज से अधिक है। इसीलिए ऊपर वाली आवाज की फ्रीक्वेंसी ज्यादा है। उसी तरह नीचे वाली आवाज की कंपन संख्या ऊपर वाली आवाज की कंपन संख्या से कम है। इसीलिए नीचे वाली आवाज की फ्रीक्वेंसी कम है। उदाहरण के तौर पर सा से रे ऊंचा है वैसे ही ग से म का ऊंचा होना नाद की फ्रीक्वेंसी को दर्शाता है।

  • नाद का छोटा-बड़ा होना - इस लक्षण में फ्रीक्वेंसी वहीं रहती हैं बस सिर्फ आवाज में फर्क पड़ता है। नाद का छोटा बड़ा पन decibels (dB) में मापा जाता है। यहां पर आवाज के कंपन की संख्या पर नहीं पर कंपन की दूरी मतलब की आवाज कितना धीरे या ज़ोर से गाया गया है उस पर आधारित हैं।


 नाद क्या है?


इमेज ऊपर वाले भाग में देखने पर पता लग जाता है कि धीमी या छोटे आवाज के कंपन की दूरी कम है। उसी प्रकार दूसरे भाग में देखने पर पता चलता है कि बड़े आवाज के कंपन की दूरी अधिक है। उदाहरण के तौर पर सा को जब हम धीरे से गाते है और उसी सा को बिना उसकी श्रुति बदले हम ज़ोर से गाते हैं।

  • नाद के गुण अथवा जाती - इस लक्षण से हमें पता चलता है कि आवाज किस वाद्य में से उत्तपन्न हो रही है। जिस तरह हम बांसुरी और हारमोनियम की आवाज़ को अलग अलग समझ और विभाजित कर सकते है। फिर भले ही उनके सुर, उनका ऊंचा नीचा पन या छोटा बड़ा पन एक जैसा हो। इस का एक और सहज उदाहरण है जैसे हम किसी भी व्यक्ति को हम उसकी आवाज़ से पहचान लेते है। 
तो ये थी आज की बोहोत ही महत्वूर्ण जानकारी नाद के बारे मैं। मुुुझेे
विश्वास है की आपको बहुत पसंद आया होगा। अगली बार फिर मिलेंगे ऐसी ही कुछ मजेदार जानकारी के साथ। शुक्रिया।


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Naad


Hello...!!!  Friends ... !!!  Welcome back to our today's topic.  Today I'm going to tell you about Naad and also will tell you about it's properties in music and what his features are.  So let's start.

If we see the word Naad, then two words are hidden in it.  According to the scriptures, Naad means prana seed and da means fire seed.  Thus Naad is made of the confluence of life and fire.

Explanation of Naad: -

Naad is a Sanskrit word.  Naad means sound.  In the scriptures, Naad is called 'Brahma'.   the melodious sound that sounds pleasant to the ears, gives pleasure to the mind and pleases the mind, that is called Naad. There are two types of Naad.  Aahat Naad and 2.  Anahat Naad.

  • Ahat Naad - The sound that is caused by a collision of any two objects, friction, struggle or a blow on it, is called a Ahat Naad.  The way a tanpura is hit with the fingers or rubbed the bow on a violin or sarangi instrument is called aAhat Naad.

  • Anahat Naad - The sound which is produced without any cooperation, friction, struggle is called Anahat Naad.  This sound is present in every creature of nature.  It is believed that the Anahata Naad was used by Rishi munis in a very long time to attain salvation.  It is very difficult to listen to Anahat Naad.  In a natural way, when you close the pores of your two ears with both your hands, the sound that you hear from within your ears is called Anahat Naad.  This sound is not useful in music.

Properties of Ahat Naad:-
1. Pitch/frequency:-
2. Loudness/amplitude:-
3. Timber/tone:- 

  • Pitch/frequency - This characteristic shows us how high or how low the sound is.  The high and low pitch of the Naad is measured in Hertz (Hz).  It is measured according to the number of the wave in a second.
What is Naad?

It is clearly visible in this image that the number of wave of the first voice is higher than the second one.  That is why the frequency of the upward voice is higher.  In the same way the number of wave of the downward voice is less than the number of wave of the upward voice.  That is why the frequency of the bottom voice is low.  As an example, Sa to Re is higher, similarly Ga to Ma is higher, indicating the frequency of sound.

  • Loudness/amplitude - in this property, the frequency stays there, it is just the difference in the volume.  The loudness of the Naad is measured in decibels (dB).  Here the number of wave of the voice is not based on the number of waves, but on how slow or loud the sound is sung.

What is Naad?

When you look at the image above, it is found that the distance of the wave of slow or small voice is short.  Similarly, when looking at the second part, it is found that the distance of wave of larger sound is more.  For example, when we sing slowly, we sing it loudly without changing its pitch.

  • Timber/tone - this property tells us which instrument the voice is emanating from.  The way we can understand and divide the sound of the flute and the harmonium differently.  Then, regardless of their pitch, their loudness or softness is the same.  Another simple example of this is as if we recognize any person with his voice.

So this was very important information about the sound today.  I must Believe you have liked it very much. See you next time with some such fun information.  thank you.