नाद
हेलो...!!! दोस्तों...!!! फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के टॉपिक में। आज मैं आपको नाद क्या है? उसका संगीत में क्या महत्व है और उसकी विशेषताएं क्या है उसके बारे में बताऊंगा। तो चलिए शुरू करते हैं।
नाद शब्द को देखा जाए तो इसमें दो शब्द छुपे हुए हैं। शास्त्रों के अनुसार न का अर्थ होता है प्राण बीज और द का अर्थ होता है अग्नि बीज। इस प्रकार नाद प्राण और अग्नि के संगम से बना हुआ है।
नाद की व्याख्या:-
नाद एक संस्कृत शब्द है। नाद का अर्थ है ध्वनि (साउंड)। शास्त्रों में नाद को 'ब्रह्म' कहा गया है। संगीत उपयोगी कानों को मधुर लगने वाली, चित्त को आनंद देने वाली तथा मन का रंजन करने वाली सुखदाई ध्वनि को संगीत की भाषा में नाद कहते हैं। नाद के दो प्रकार हैं १. आहत नाद और २. अनाहत नाद
- आहत नाद - जो नाद किन्हीं दो वस्तुओं के टकराने से, घर्षण से, संघर्ष से या फिर उस पर आघात करने से उत्पन्न हो, उस नाद को आहत नाद कहा जाता है। जिस प्रकार तानपुरे पर उंगलियों से आघात किया जाता या फिर वायोलिन या सारंगी पर गज को रगड़ने से जो ध्वनि उत्पन्न होती है उसे आहत नाद कहते हैं।
- अनाहत नाद - जो आवाज बिना किसी सहयोग, घर्षण, आघात से उत्पन्न होती है उसे अनाहत नाद कहा जाता है। यह नाद प्रकृति के हर जीव में विद्यमान है। ऐसा माना जाता है कि अनाहत नाद का उपयोग बहुत पहले के समय में ऋषि मुनियों द्वारा मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता था। अनाहत नाद को सुनना बहुत कठिन है। सहज रूप से देखा जाए तो अपने दोनों कानों के छिद्रों को अपने दोनों हाथों से बंद करने पर कान के भीतर से जो सांय-सांय जैसा आवाज सुनाई देता है उसी को अनाहत नाद कहते हैं। यह नाद संगीत उपयोगी नहीं है।
आहत नाद की विशेषताएं -
१. नाद की ऊंचाई-नीचाई
२. नाद का छोटा-बड़ापन
३. नाद के गुण अथवा जाती
- नाद की ऊंचाई-नीचाई - इस लक्षण से हमें नाद या ध्वनि कितनी ऊंची या कितनी नीची है वह पता चलता है। नाद के ऊंचे और नीचे पन को Hertz (Hz) मे मापा जाता है। इसे एक सेकंड में आवाज के कंपन के हिसाब से उसका मापन होता है।
इस इमेज में साफ दिखाई दे रहा है कि ऊपर वाली आवाज की कंपन संख्या नीचे वाली आवाज से अधिक है। इसीलिए ऊपर वाली आवाज की फ्रीक्वेंसी ज्यादा है। उसी तरह नीचे वाली आवाज की कंपन संख्या ऊपर वाली आवाज की कंपन संख्या से कम है। इसीलिए नीचे वाली आवाज की फ्रीक्वेंसी कम है। उदाहरण के तौर पर सा से रे ऊंचा है वैसे ही ग से म का ऊंचा होना नाद की फ्रीक्वेंसी को दर्शाता है।
- नाद का छोटा-बड़ा होना - इस लक्षण में फ्रीक्वेंसी वहीं रहती हैं बस सिर्फ आवाज में फर्क पड़ता है। नाद का छोटा बड़ा पन decibels (dB) में मापा जाता है। यहां पर आवाज के कंपन की संख्या पर नहीं पर कंपन की दूरी मतलब की आवाज कितना धीरे या ज़ोर से गाया गया है उस पर आधारित हैं।
इमेज ऊपर वाले भाग में देखने पर पता लग जाता है कि धीमी या छोटे आवाज के कंपन की दूरी कम है। उसी प्रकार दूसरे भाग में देखने पर पता चलता है कि बड़े आवाज के कंपन की दूरी अधिक है। उदाहरण के तौर पर सा को जब हम धीरे से गाते है और उसी सा को बिना उसकी श्रुति बदले हम ज़ोर से गाते हैं।
- नाद के गुण अथवा जाती - इस लक्षण से हमें पता चलता है कि आवाज किस वाद्य में से उत्तपन्न हो रही है। जिस तरह हम बांसुरी और हारमोनियम की आवाज़ को अलग अलग समझ और विभाजित कर सकते है। फिर भले ही उनके सुर, उनका ऊंचा नीचा पन या छोटा बड़ा पन एक जैसा हो। इस का एक और सहज उदाहरण है जैसे हम किसी भी व्यक्ति को हम उसकी आवाज़ से पहचान लेते है।
तो ये थी आज की बोहोत ही महत्वूर्ण जानकारी नाद के बारे मैं। मुुुझेे
विश्वास है की आपको बहुत पसंद आया होगा। अगली बार फिर मिलेंगे ऐसी ही कुछ मजेदार जानकारी के साथ। शुक्रिया।
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Naad
Hello...!!! Friends ... !!! Welcome back to our today's topic. Today I'm going to tell you about Naad and also will tell you about it's properties in music and what his features are. So let's start.
If we see the word Naad, then two words are hidden in it. According to the scriptures, Naad means prana seed and da means fire seed. Thus Naad is made of the confluence of life and fire.
Explanation of Naad: -
Naad is a Sanskrit word. Naad means sound. In the scriptures, Naad is called 'Brahma'. the melodious sound that sounds pleasant to the ears, gives pleasure to the mind and pleases the mind, that is called Naad. There are two types of Naad. Aahat Naad and 2. Anahat Naad.
- Ahat Naad - The sound that is caused by a collision of any two objects, friction, struggle or a blow on it, is called a Ahat Naad. The way a tanpura is hit with the fingers or rubbed the bow on a violin or sarangi instrument is called aAhat Naad.
- Anahat Naad - The sound which is produced without any cooperation, friction, struggle is called Anahat Naad. This sound is present in every creature of nature. It is believed that the Anahata Naad was used by Rishi munis in a very long time to attain salvation. It is very difficult to listen to Anahat Naad. In a natural way, when you close the pores of your two ears with both your hands, the sound that you hear from within your ears is called Anahat Naad. This sound is not useful in music.
Properties of Ahat Naad:-
1. Pitch/frequency:-
2. Loudness/amplitude:-
3. Timber/tone:-
- Pitch/frequency - This characteristic shows us how high or how low the sound is. The high and low pitch of the Naad is measured in Hertz (Hz). It is measured according to the number of the wave in a second.
It is clearly visible in this image that the number of wave of the first voice is higher than the second one. That is why the frequency of the upward voice is higher. In the same way the number of wave of the downward voice is less than the number of wave of the upward voice. That is why the frequency of the bottom voice is low. As an example, Sa to Re is higher, similarly Ga to Ma is higher, indicating the frequency of sound.
- Loudness/amplitude - in this property, the frequency stays there, it is just the difference in the volume. The loudness of the Naad is measured in decibels (dB). Here the number of wave of the voice is not based on the number of waves, but on how slow or loud the sound is sung.
When you look at the image above, it is found that the distance of the wave of slow or small voice is short. Similarly, when looking at the second part, it is found that the distance of wave of larger sound is more. For example, when we sing slowly, we sing it loudly without changing its pitch.
- Timber/tone - this property tells us which instrument the voice is emanating from. The way we can understand and divide the sound of the flute and the harmonium differently. Then, regardless of their pitch, their loudness or softness is the same. Another simple example of this is as if we recognize any person with his voice.
So this was very important information about the sound today. I must Believe you have liked it very much. See you next time with some such fun information. thank you.
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