राग विस्तार
हेलो...!!! दोस्तों...!!! फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के संगीत के इंटरेस्टिंग टॉपिक में। आज मैं आपको बताऊंगा राग विस्तार क्या होता है और उसमें किन तत्वों का उपयोग होता है। तो चलिए शुरू करते हैं।
राग विस्तार करने की तकनीक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और कर्नाटक की शास्त्रीय संगीत में अलग-अलग पाई जाती है। आज हम हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में राग विस्तार कैसे होता है वह सीखेंगे।
राग विस्तार में कुल 4 तत्वों का उपयोग किया जाता है। जो राग विस्तार के लिए बहुत ही जरूरी है।
१. आलाप (आलापी)
२. बंदिश
३. लय-कारी
४. तान
इन्हीं चार तत्वों के उपयोग से राग विस्तार संभव है। तो चलिए जानते हैं इन तत्वों का राग विस्तार में किस प्रकार उपयोग होता है।
१. आलाप (आलापी) :- आलाप या आलापी राग विस्तार की एक ऐसी तकनीक है जिसमें आलाप द्वारा राग विस्तार किया जाता है। राग आलापी राग विस्तार के प्रथम भाग में पेश की जाती है। राग की पेशकश का सबसे ज्यादा समय का उपयोग राग आलापी में किया जाता है।
ज्यादातर गायक आलाप की पेशकश में आकार का उपयोग करते हैं पर ज्यादा समय तक आकार में अलापी करने से राग नीरस ना लगने लगे इसलिए दूसरी अलापी का भी उपयोग किया जाता है। आलापी के भी प्रकार है। १. आकार आलापी २. नोम-तोम आलापी ३. बोल आलापी ४. सरगम आलापी।
- आकार आलापी - इस प्रकार की आलापी में आ अक्षर के उच्चारण से अलापी की जाति है।
- नोम-तोम आलापी - इस प्रकार की अलापी में नोम-तोम जैसे शब्दों का उपयोग करके अलापी की जाती है।
- बोल आलापी - इस प्रकार की आलापी में राग की बंदिश के बोलो का उपयोग करके अलापी की जाती है।
- सरगम आलापी - इस प्रकार की आलापी में राग के स्वरों का उपयोग करके अलापी की जाती है।
२. बंदिश :- बंदिश का अर्थ होता है बंधा हुआ। राग से ताल से और शब्दों से यह बंदिश बंधी होती है। बंदिश के बोल बहुत ही अर्थ पूर्ण होते हैं। बंदिश एक प्रकार का काव्य ही है जिसे गायन या वादन से प्रस्तुत किया जाता है। बंदिश के भी अनेक प्रकार हैं। ख्याल गायकी में जब राग की प्रस्तुति होती है तब सर्वप्रथम बहुत ही धीमी गति या विलंबित गति में बंदिश गाई जाती है जिसे बड़ा ख्याल कहा जाता है। उसके बाद छोटा ख्याल की बंदिश प्रस्तुत की जाती है जो मध्यम लय या फिर दृतलय में होती है।
कई बार बंदिश के बोलो को गाते समय कई गायक राग की रंजकता के अनुसार उन्हें स्पष्ट रूप से न गाकर उन बोलो को तोड़ कर गाते हैं क्योंकि बंदिश के शब्दों का कार्य है कि गायक को ऐसे शब्द प्रदान हो जिनसे वह अलापी और लयकारी में उन शब्दों का उपयोग कर सकें।
इस प्रकार बंदिश के बोलो को अर्थपूर्ण अथवा अर्थहीन शब्दों से भी बांधा जा सकता है। जैसे तराना।
- तराना - तराना गायन मेजो बंदिश होती है उसमें अर्थहीन शब्दों का उपयोग किया जाता है। जैसे कि नोम, तोम, ना, दिर, दीम, ता, दानी ऐसे शब्दों का उपयोग किया जाता है। यह बंदिश राग विस्तार के आखरी भाग में गायी जाती है क्योंकि इसमें गति बहुत ज्यादा होती है।
दूसरी बंदिश होती है सरगम की बंदिश।
- सरगम बंदिश - यह बंदिश राग के स्वरों के उपयोग से गाई जाती है। महफिलों में इसका उपयोग ज्यादा नहीं किया जाता है। यह बंदिश विद्यार्थियों को गवाई जाती है ताकि उन्हें राग के स्वरूप को जानने में आसानी हो।
तो यह थी आज की जानकारी राग विस्तार के बारे में। अगली पोस्ट में मैं राग विस्तार में उपयोगी और दो तत्वों के बारे में बताऊंगा। मुझे विश्वास है कि यह दो टॉपिक आपको अच्छे से समझ में आ गया हूं। शुक्रिया।
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English translation
Raga expansion
Hello...!!! Friends ... !!! Welcome back to our interesting music topic of today. Today I will tell you what the Raga expansion is and what elements are used in it. So let's start.
The technique of expanding raga is found differently in Hindustani classical music and Carnatic classical music. Today we will learn how the Raga expands in Hindustani classical music.
A total of 4 elements are used in the raga expansion. Which is very important for raga expansion.
1. Alap (Alapi)
2. Bandish
3. Layakari
4. Taan
By using these four elements, raga expansion is possible. So let's know how these elements are used in the raga expansion.
1. Alap (Alapi): - Alap or Alapi is a technique of raga expansion in which raga is extended by alap. The raga alapi is introduced in the first part of the Raga expansion. The presentation raga,most time used in alaapi.
Most singers use the Akar form to presenting the alaap, but the performance does not become monotonous due to the longing of the alapi, so a other alaapi is also used. There are also types of alap. Akar alapi 2. Naum-Taum Alapi 3. Bol Alappi 4. Sargam Alapi.
- Akar Alapi - In this type of Alapi, performer uses Aa word in alapi
- Naum-Taum Alapi - In this type of Alapi, alapi is done using words like Naum-Taum.
- Bol Alapi - In this type of Alapi, alapi is done by using the words of bandish.
- Sargam alapi- In this type of Alapi, Alapi Done by using the notes of raga.
Raga expansion |
2. Bandish: - Bandish means tied. This restriction is tied to the rhythm and the words to the raga. Bandish lyrics are very meaningful. Bandish is like a poetry which is rendered by singing or playing. There are also many types of bandish. When a raga is performed in Khyal singing, the first presentation is sung in a very slow or delayed motion, which is called Bada Khyal. After that, the bandish of Chhota Khyal is presented, which is in the medium rhythm or the double speed.
While singing the lyrics of Bandish many times, many singers break those words by not singing them clearly, because Bandish's words work to provide the singer with the words that he can use that words in alapi and layakari
In this way, the words of Bandish can also be tied to meaningful or meaningless words. Like Tarana.
- Tarana - Tarana is a singing of bandish, in which meaningless words are used. Such words as Nom, Tom, Na, Dir, Dim, Ta, Dani are used. In this bandish raga is the last edge of expansion because it has a lot of speed. This type of bandish is perform in last part of Raga expansion Because it has to much speed.
The second bandish is the Sargam Bandish.
- Sargam Bandish - This bandish is sung using the notes of the raga. It is not used much in Mahfils. This bandish is witnessed to the students so that they can easily get to know the nature of the raga.
So this was about the expansion of raga in today's information. In the next post I will explain the useful other two elements in raga expansion layakari and Tana . I am sure you understand these two topics very well. Thank you.
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