Wednesday, June 10, 2020

What is Shruti? ( श्रुति क्या है? )

Shruti (Music) श्रुति (संगीत)

श्रुति (संगीत)


        हैलो...!!! दोस्तों...!!! फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के बोहोत इंटरेस्टिंग फेक्ट में। आज में आपको बताऊगा भारतीय शास्त्रीय संगीत में श्रुति क्या है। तो ये जानकारी बोहोत ही जरूरी है इसलिए इसे पूरा पढ़े तो चलिए शुरू करते हैं।

         हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत वह छोटे से छोटा नाद जो कानो को स्पष्ट सुनाई दे , व समझा जा सके , श्रुति कहलाता है।

          प्राचीन ग्रंथो में श्रुति की परिभाषा ' श्रूयतेति श्रुति ' दी गई है । संस्कृत में श्रृ का अर्थ है सुनना। अर्थात जो कानो से सुनी जा सके वह श्रुति है । श्रुति की संख्या २२ है । इन्ही से 7  स्वरों की उत्पति होती है।

बाईस श्रुतिया -

तीव्रा

कुमुदती

मंदा

छंदोवती

दयावती

रंजनी

रक्तिका

रौद्री

क्रोधा

वार्जिका

प्रसारिणी

प्रीति

मार्जनी

क्षिति

रक्ता

संदीपनी

आलापिनी

मंदति

रोहिणी

रम्या

उग्रा

क्षोविनि

 

नित्यं    गीतोपयोगित्वमभिज्ञेयत्वमप्युत ।

लक्षे  प्रोक्तं  सुपर्याप्तं  संगीत  श्रुतिलक्षणम।।

अर्थात वह संगीतोपयोगी ध्वनि जो एक दूसरे से अलग तथा स्पष्ट पहचानी जा सकें उसे श्रुति कहते हैं। 'अलग' तथा 'स्पष्ट'  यहाँ पर बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि श्रुति का ये गुण है कि उसे कानों को स्पष्ट सुनाई देना चाहिए और पास की दो श्रुतियों में इतना अंतर अवश्य होना चाहिए कि वे एक दूसरे से स्पष्ट अलग पहचानी जा सकें इसीलिए संगीत के विद्वानों का विचार है कि ऐसी ध्वनियाँ जो एक दूसरे से अलग तथा कानो को स्पष्ट सुनाई पड़ें एक सप्तक में कुल २२ हो सकतीं हैं अर्थात मध्य स से तार स (एक सप्तक के अंदर) के बीच में कुल २२ श्रुतियाँ हो सकती हैं। 

स्वरा भारतीय संगीत में श्रुति अवधारणा से भिन्न है।  एक श्रुति उपलब्ध पिच का सबसे छोटा उन्नयन है, जबकि एक स्वरा चयनित पिच है जिसमें से संगीतकार तराजू, धुन और रागों का निर्माण करता है।  नाट्य शास्त्र प्रति २२ श्रुति और सात स्वरा की पहचान और चर्चा करता है। बाईस श्रुति में से, वीणा विद्वानों ने चतुर्थ श्रुति को सा विलोम होने के लिए पहचाना, ७ वें को रे, ९ वें को गा के रूप में, १३ वें को मा के रूप में, २० वें को धा और २२ को नी शुध के रूप में माना। सैद्धांतिक रूप से, अनंत संख्या में श्रुति संभव है, और बाद में भारत के संगीत विद्वानों ने अपने अध्ययन में श्रुति की संख्या में वृद्धि की।

भारतीय संगीत के इतिहास में कई संदर्भों में इसका उपयोग किया गया है।  हाल के शोध ने श्रुति शब्द को अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है, नाडा और स्वरा से इसका अंतर, और 22 श्रुतियों को निभाने के लिए एक स्ट्रिंग पर पिनपॉइंट की स्थिति।

श्रुति का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण संभवतः राग दरबारी में अती-कोमल (अतिरिक्त फ्लैट) गन्धर का उपयोग है।  दूसरों में भैरव में ऋषभ, भीमपलासी में निषाद और मिया मल्हार और टोडी में गणधर शामिल हैं।


श्रुति (संगीत)
श्रुति के स्थान

तो ये थी श्रुति के बारे मैं संपूर्ण जानकारी। मुुु विश्वास है की आपको यह जानकारी बहुत पसंद आई होगी। अगली बार फिर से मिलेंगे ऐसी ही इंटरेस्टिंग जानकारी के साथ। शुक्रिया...

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English translation


Shruti (Music)



 Hello ... !!!  Friends ... !!!  Welcome back to our very interesting interest today.  Today I will tell you what is Shruti in Indian classical music.  So this information is very important, so if we read it completely, let's start.


In Hindustani classical music is the smallest sound that can be heard and understood clearly by the ears, is called Shruti.

 In the ancient texts, the definition of Shruti has been given as 'Shruyateti Shruti'.  In Sanskrit, Shra means to listen.  That is, what can be heard through the ears is Shruti.  The number of Shruti is 22.  These produce 7 notes.

 Twenty two types of Shruti
(Names)

 Tewra

 Kumudati

 Manda

 Chhandovati

 Dayavati

 Ranjani

 Raktika

 Raudri

 Krodha

 Varjika

 Prasarini

 Priti

 Margini

 Kshiti 

 Rakta

 Sandipani

 Alapini

 Mandati

 Rohini

 Ramya

 Ugra

 Xovini


Nityam Geetopayogitavamabhigyanayatvamput.
Lakshya Proktam Superyapatam Sangeet Shrutilakshanam ..


 That is, the musical sound that can be differentiate and clearly identified from each other is called Shruti.  'Different' and 'clear' is very important here because Shruti has this quality that she should be heard clearly to the ears and there should be such a difference between the two nearby Sruti that they can be clearly distinguished from each other, hence music.  The scholar's view is that such sounds which are different from each other and can be heard clearly to the ears can be 22 total in one octave, that is, there can be a total of 22 shrutis in the middle from the middle to the string (within one octave).


 Swara is different from the Shruti concept in Indian music.  A shruti is the smallest elevation of the pitch available, while a swara is the chosen pitch from which the composer creates scales, melodies and ragas.  The Natya Shastra identifies and discusses 22 Shruti and seven Swaras. Out of twenty-two Shruti, Veena scholars identified the fourth Shruti as Sa, the 7th as Re, the 9th as Ga, the 13th as Ma, the 20th  Considered as Dha and 22 as Ni Shudh.  Theoretically, an infinite number of Shruti is possible, and later music scholars from India increased the number of Shruti in their studies.


 It has been used in many contexts in the history of Indian music.  Recent research has more clearly defined the term Shruti, its difference from Nada and Swara, and the position of a pinpoint on a string to perform 22 Shruti.


 The most famous example of Shruti is probably the use of ati-komal (extra flat) gandhar in the raga court.  Others include Rishabh in Bhairava, Nishad and Mia Malhar in Bhimpalasi and Ganadhar in Todi.


Shruti (Music)
Positions of Shruti

So this was the complete information about Shruti.  I believe you must have liked this information.  See you again next time with similar interesting information. Thank you...

Musical info.

Author & Editor

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