सप्तक के प्रकार
हेलो...!!! दोस्तों...!!! फिर से आपका स्वागत है। आज मैं आपको भारतीय शास्त्रीय संगीत में सप्तक क्या होता है और उसके कितने प्रकार होते हैं वो बताऊंगा। तो चलिए शुरू करते हैं...
भारतीय शास्त्रीय संगीत की अगर बात करें, तो इस मैं सप्तक का विस्तृत तरीके से वर्णन किया गया है। क्रमानुसार सात शुद्ध स्वरों के समुह को सप्तक कहते हैं। ये सात स्वर हैं- सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
जैसे-जैसे हम सा से ऊपर चढ़ते जाते हैं, इन स्वरों की आंदोलन संख्या बढ़ती जाती है। 'प' की अंदोलन संख्या 'सा' से डेढ़ गुनी ज़्यादा होती है। 'सा' से 'नि' तक एक सप्तक होता है, 'नि' के बाद दूसरा सप्तक शुरु हो जाता है जो कि 'सा' से ही शुरु होगा मगर इस सप्तक के 'सा' की आंदोलन संख्या पिछले सप्तक के 'सा' से दुगुनी होगी। इस प्रकार बहुत सारे सप्तक होते हैं पर शास्त्रीय संगीत के गायन और वादन विभाग में तीन सप्तकों का उपयोग किया जाता है। १. मंद्र सप्तक २. मध्य सप्तक ३. तार सप्तक। ज्यादातर गायन और वादन इन्हीं सप्तकों में किया जाता है।
- मध्य सप्तक:- यह सप्तक गायक कि सामान्य आवाज को बताता है। इस सप्तक में ना ही ज्यादा नीचे सुर और ना ही ज़्यादा ऊंचे सुर होते है। इस सप्तक में किसी प्रकार के चिन्ह का उपयोग नहीं किया जाता।
- तार सप्तक:- यह सप्तक मध्य सप्तक से ऊंचा होता है। इस सप्तक के सुर ऊंचे होते हैं। इस सप्तक में सुर के ऊपर बिंदी का चिन्ह लगाकर उसकी पहचान की जाती है। जब सुर केे ऊपर दो बिंदी लगाई जाए तब उसे अती तार सप्तक कहा जाता है।
- मंद्र सप्तक:- यह सप्तक मध्य सप्तक से नीचा होता है। इस सप्तक के सुर नीचे होते हैं। इस सप्तक में सुर केे नीचे बिंदी का चिन्ह लगाकर उसकी पहचान की जाती है। जब सुर के नीचे दो बिंदी लगाई जाए तब उसे अति मंद्र सप्तक कहा जाता है।
तो ये थी हमारी आज की बहुत ही यूज़फुल जानकारी। मुझे लगता है आपको यह पसंद आया होगा। अगली बार फिर मिलेंगे ऐसे ही इंटरेस्टिंग जानकारी के साथ। शुक्रिया...!!!
Types of octaves |
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English translation
TYPES OF OCTAVES
Hello...!!! Friends ... !!! Welcome back again. Today i will tell you what is the octave in Indian classical music and what are its types. So let's start ...
If we talk about Indian classical music, then in this way, saptak is described in a detailed way. In order, the group of seven notes is called saptak. These seven notes are - sa, re, ga, ma, pa, dha, ni.
As we go forward from Sa, the movement number of these notes increases. The movement number of 'Pa' is one and a half times more than 'Sa'. There is one octave from ‘Sa’ to ‘Ni’, after ‘Ni’ the second octave starts which will start from ‘Sa’ but the movement number of ‘Sa’ of this octave is from ‘Sa’ of the last octave. Will double. In this way there are many octaves, but in the singing and playing department of classical music, three octaves are used. 1. Bass octave to 2. Mid octave 3. Higher octave. Mostly singing and playing are performed in these octaves.
- Middle octave: - This octave tells the normal voice of the singer. In this octave there are neither very low notes nor very high notes. No symbols are used in this octave.
- Higher octave: - This octave is higher than the middle octave. The notes of this octave are high. This octave is identified by placing a dot on the counter. When two dots are placed on the top of the counter, it is called super-higher octave.
- Bass octave: - This octave is lower than the middle octave. The notes of this octave are below. This octave is identified by placing a dot on the underside of the note. When two dots are placed under the counter, it is called the super-Bass octave.
So this was our very useful information about Octaves. I think you might have liked it. See you next time with similar interesting information. thank you...!!!
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