राग
हेलो..!!! दोस्तों....!!! फिर से आपका स्वागत है हमारे आज के इंटरेस्टिंग म्यूजिक इंफॉर्मेशन में। आज मैं आपको राग क्या है? और उससे संबंधित सभी जानकारी आपको बताऊंगा। तो चलिए शुरू करते हैं।
राग की व्याख्या
राग सुरों के आरोहण और अवतरण का ऐसा नियम है जिससे संगीत की रचना होती है। पाश्चात्य संगीत की बात करें तो उसमें 'इंप्रोवाइजेशन' इसी तरह की पद्धति मानी जाती है।
राग हमारे भारतीय शास्त्रीय संगीत का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। राग का गायन करने से हमारे गले के वोकल कॉर्डस मजबूत होते हैं और उनकी हरकत लेने की क्षमता बहुत अच्छी हो जाती है। जिसके कारण हम कोई भी गाना या कोई भी राग बहुत ही अच्छे तरीके से पेश कर सकते हैं। राग गाने में हमारे दिमाग और गले का मेल होने के कारण हम अपनी गायकी को अच्छी बना सकते हैं। इसी प्रकार वादन में भी राग का बहुत महत्व है। राग बजाने से हम हमारी उंगलियों की किसी भी वाद्य पर अच्छी पकड़ बना सकते हैं।
'राग' शब्द संस्कृत की 'रंज' धातु में से बना है। 'रंज' का मतलब होता है रंगना। जिस तरह एक चित्रकार अपने चित्र में रंग भर कर उसे सुंदर बनाता है। उसी तरह एक गायक या वादक राग बजाकर उसकी सुंदरता को और निखारता है। जो रचना मनुष्य के मन को आनंद के रंगों से रंग दे वही राग कहलाता है।
हर एक राग का अपना रूप, अपना व्यक्तित्व होता है जो उसने उपयोगी होने वाले स्वरों और लय पर निर्भर करता है। किसी राग की जाति उसके अंदर उपयोग हुए स्वरों की संख्या से निर्धारित होती है। स्वरों का चढ़ता क्रम होता है आरोह और वैसे ही उतरता क्रम अवरोह कहलाता है। आरोह और अवरोह पर मैंने एक पोस्ट बनाया है जिसमें आपको अलंकार और आरोह अवरोह की पूर्ण जानकारी मिल जाएगी। https://harmonymusicinfo.blogspot.com/search/label/Alankar
राग में बहुत कुछ उपयोगी जानकारी होती है जैसे कि राग का निर्माण उसके आरोह और अवरोह की रचना के हिसाब से तय होता है। किसी भी राग के अपने लक्षण होते हैं जिससे उस राग को दूसरे रागों से अलग पाया जा सके। वैसे ही जाति का भी राग में बहुत महत्व है। इस प्रकार वादी, संवादी, वर्जित, विकृत इन सब स्वरों का भी राग की रचना में बहुत महत्वपूर्ण भाग है।
राग को कुल 2 विभागों में विभाजित किया जाता है जिसमें प्रथम भाग को स्थाई और दूसरे भाग को अंतरा कहा जाता है। यही सब लक्षण राग को दूसरे रागों से अलग दिखाता है। राग में पकड़ का भी बहुत महत्व है जिससे राग की असली पहचान की जाती है।
राग रचना उपयोगी जानकारी
राग की रचना में यह सब बातें बहुत जरूरी है:-
- आरोह
- अवरोह
- वादी स्वर
- संवादी स्वर
- वर्जित स्वर
- जाति
- थॉट
- समय
- रस
- पकड़
मैं यहां पर इमेजेस लगा रहा हूं जिससे आपको राग के इन लक्षणों को समझने में और मदद मिलेगी।
यह सब राग की रचना में बहुत महत्वपूर्ण है। इन सब की व्याख्याा और पूरी जानकारी मैं आपको हमारी अगली पोस्ट में बताऊंगा।
तो यह थी आज की जानकारी राग के बारे में। मुझे यकीन है कि आपको बहुत पसंद आई होगी। अगली बार फिर से मिलेंगे ऐसी ही इंटरेस्टिंग जानकारी के साथ। शुक्रिया।
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English translation
The Raga
Hello..!!! Friends .... !!! Welcome back to our today's interesting music information. Today I will tell you about Raaga What is your raga And will tell you all the information related to it. So let's start.
Defination of raga
Such is the law of the ascension and incarnation of the melody that music is composed. Talking about western music, 'improvisation' is considered a similar method in it.
Raga is a very important part of our Indian classical music. Singing the raga strengthens the vocal cord of our throat and makes them very capable of taking action. Because of which we can present any song or any raga in a very good way. Due to the combination of our mind and throat in the raga song, we can make our singing good. Similarly, raga has a lot of importance in playing. By playing the raga, we can make a good grip on any instrument with our fingers.
The word 'Raga' is derived from the Sanskrit 'ranj' metal. 'Runj' means to paint. The way a painter adds color to his picture and makes it beautiful. In the same way, a singer or instrumentalist enhances her beauty by playing raga. The composition which gives color to the human mind with the colors of pleasure is called raga.
Each raga has its own form, its own personality which depends on the notes and rhythms it uses. The caste of a raga is determined by the number of notes used within it. The ascending sequence of notes is ascension and the descending order is called incarnation. I have made a post on ascension and incarnation, in which you will get the complete information about forward and reverse order of notes.
There is a lot of useful information in a raga such that the construction of a raga is decided according to the composition of its ascension and descending. Any raga has its own characteristics so that raga can be found different from other ragas. Similarly, caste also has a great importance in raga. Thus, all these Vaadi, Samvaadi, Varjit, Vikrut all these notes also have very important part in the composition of the raga.
The raga is divided into a total of 2 divisions in which the first part is called sthayi and the second part is called antara. All these characteristics make the raga different from other ragas. The hold in the raga is also very important from which the real identity of the raga is identified.
Raga composition useful information
All these things are very important in the composition of the raga: -
- Aroh
- Avroh
- Vaadi swar
- Samvaadi swar
- Varjit swar
- Jaati
- Thaat
- Samay
- Ras
- Pakad
I am putting images here which will help you understand these raga.
All this is very important in the composition of the raga. I will explain you all these details in our next post.
So this was today's information about raga. I am sure you would have liked it very much. See you again next time with similar interesting information. thank you.
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